भज भगवान भूले मत प्राणी अंत कोटि सन्त राम रटे - MadhurBhajans मधुर भजन
भज भगवान भूले मत प्राणी
दोहा मानुष तन दियो थने
भोंदू भजले पीव
बैठो क्यू संगराम कहे
अब उंडी देने नीव।
देने उंडी नीव
हिया का फूटा गैलां
कर आगा ने ठौड़ अटे
कुण रेवण देला।
लख चौरासी जूण में
रुलियो फिरसी जीव
बैठो क्यू संगराम केवे
अब उंडी देने नीव।
सूखा पेड़ मूर्ख नर
कभू न नीचा होय
टूट जाय पर झुके नहीं
ज्याने आजमा देखो कोय।
आजमा देखो कोय
रहे करड़ा का करड़ा
अरंड जाय आकाश
झुके नहीं पोला परड़ा।
आम और विद्वान नर
सदा झुके ए दोय
परमानंद पढ़ देख लो
ग्रन्थ में सब कोय।
राम नाम खारा लगे
मीठा लागे दाम
दुविधा में दोनों गए
माया मिली न राम।
राम नाम मीठो घणो
जो कोई चाखे घूँट
जन्म मरण दोनूं मिटे रे
सहज मिले बैकुंठ।
भज भगवान भूले मत प्राणी
अंत कोटि सन्त राम रटे
सुंदर काया काम न आवे
कोडी उ नहींअच्छा दाम बटे।।
गर्भ वास का कोल भूलगो
बायर आकर नीच नटे
चूण चुग्गो उदर माही दीनों
ऊंदे मुंडे लटकियो उठे।।
नीची नीची जूणिया भोगता
छेलो अवसर आयो अठे
ई अवसर ने चूक मत भाया
मार धड़ा धड़ पड़े वठे।।
हरि भक्ति नहीं हरि चर्चा सुहावे
गप्पा मारतो नहीं डटे
रात दिवस का पड़पच माही
इक्कीस हजार छह सौ श्वास घटे।।
राम नाम कदैई नहीं लीनो
लिखी चौरासी भोग्या कटे
कहे दानाराम भजन कर बन्दा
कांई नकटा थारो नाक कठे।।
भज भगवान भूलें मत प्राणी
अंत कोटि सन्त राम रटे
सुंदर काया काम न आवे
कोडी उ नहींअच्छा दाम बटे।।
गायक बीरमजी महाराज।
प्रेषक रामेश्वर लाल पँवार।
आकाशवाणी सिंगर।
9785126052
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