बेरी तू राम भजेलो कब रे देसी भजन लिरिक्स - MadhurBhajans मधुर भजन
बेरी तू राम भजेलो कब रे
दोहा गोरे गोरे तन पे तू
बावरे गुमान करे
रंग सो पतंग तेरे
कल उड़ जाएगो।
धुए के सो धन तेरो
जाते ही न लागे बार
चौराहे को माल नहीं
चोहटे बिकाएगो।
मानुष की देह तो
जीवत ही आवे काम
मरया पाछे स्वान काग
कुतरा नी खाएगो
यह दुनिया है तानसेन
छोड़ दे माया की धुन
बंद मुट्ठी आयो बंदे
खाली हाथ जाएगो।
होट कंठ रुक जासी थारा
अंत समय में जब ये
बेरी तू राम भजेलो कब रे
बेरी तू राम भजे लो कब रे।।
करियो कोल उदें मुख झूल्यो
मात गर्भ में तब रे
तेरे साय करि नारायण
भोंदू भुलयो अब रे
बेरी तु राम भजे लो कब रे।।
मेरा मन मोह में उलज्या
स्वार्थ गरजी सब रे
सब ही अपनी गरज मिटावे
अपनी अपनी ढब ये
बेरी तु राम भजे लो कब रे।।
राम भजन और पुरुषार्थ का
अवसर मिला गजब रे
ऐसा रत्न रेत में खोवे
सो नर जाण खजब रे
बेरी तु राम भजे लो कब रे।।
आत्म ही परमात्मा जाणो
अल्लाह अलख वही रब रे
भारती पूरण सब घट घट में
सांचा यही मजहब रे
बेरी तु राम भजे लो कब रे।।
होट कंठ रुक जासी थारा
अंत समय में जब ये
बेरी तू राम भजे लो कब रे
बेरी तू राम भजे लो कब रे।।
गायक पुरण भारती जी महाराज।
8824030646
beri tu ram bhajelo kab re lyrics