बस चार दिनों का मेला फिर चला चली खेला लिरिक्स - MadhurBhajans मधुर भजन
बस चार दिनों का मेला
फिर चला चली खेला
नही कायम जग में डेरा
प्यारे ना तेरा ना मेरा।।
तर्ज मेरे मन की गंगा।
नो महलों की बाते छोड़ो
धेला साथ न जाएगा
मुठ्ठी बांध के आया जग में
हाथ पसारे जाएगा
मोती माणिक हेरा
न सोने का ढेरा
नही कायम जग में डेरा
ना तेरा ना मेरा।।
ये काया न साथ चलेगी
जिसपे तू इतराया
रूप रंग है एक छलाबा
सारी झूठी माया है
तुझे मद माया ने घेरा
न राम की माला फेरा
ना तेरा ना मेरा।।
ना सत्संग न राम भजन
ना तीरथ ना धाम किया
ना भूखे को रोटी ही दी
ना कुछ उसका मान किया
राजेन्द्र हरि का चेरा
मैं हरि का हरि मेरा
ना तेरा ना मेरा।।
बस चार दिनों का मेला
फिर चला चली खेला
नही कायम जग में डेरा
प्यारे ना तेरा ना मेरा।।
गीतकारगायक राजेन्द्र प्रसाद सोनी।
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bas char dino ka mela fir chala chali ka khela lyrics