बाँके बिहारी की बाँसुरी बाँकी श्री रविंद्र जैन भजन लिरिक्स - MadhurBhajans मधुर भजन
बाँके बिहारी की बाँसुरी बाँकी
पे सुदो करेजा में घाव करे री
मोहन तान ते होए लगाव तो
औरन ते अलगाव करे री
गैर गली घर घाट पे घेरे
गैर गली घर घाट पे घेरे
कहाँ लगी कोउ बचाउ करे री
जादू पड़ी रस भीनी छड़ी मन
पे तत्काल प्रभाव करे री
जादू पड़ी रस भीनी छड़ी मन
पे तत्काल प्रभाव करे री।।
मोहन नाम सो मोह न जानत
दासी बनायीं के देत उदासी
छोड़ चली धन धाम सखी सब
बाबुल मैया की पाली पनासी
एक दिना की जो होए तो झेले
एक दिना की जो होए तो झेले
सतावत बांसुरी बारह मासी
सोने की होती तो का गति होती
भई गल फांसी जे बाँस की बांसी।।
कानन कानन बाजी रही अरु
कानन कानन देत सुनाई
कान ना मानत पीर ना जानत
का करे कान करे अब माई
हरि अधरमृत पान करे
हरि अधरमृत पान करे
अभिमान करे देखो बांस की जाइ
प्राण सबे के धरे अधरान
हरी जब ते अधरान धराई।।
चोर भयो नवनीत के ले अरु
प्रीत के ले बदनाम भयो री
राधिका रानी के दूधिया रंग ते
रंग मिलायो तो श्याम भयो री
काम कलानिधि कृष्ण की कांति के
काम कलानिधि कृष्ण की कांति के
कारन काम अकाम भयो री
प्रथमाकर बनवारी को ले
रजखण्ड सखी ब्रजधाम भयो री।।
बाँके बिहारी की बाँसुरी बाँकी
पे सुदो करेजा में घाव करे री
मोहन तान ते होए लगाव तो
औरन ते अलगाव करे री।।
स्वर तथा रचना
स्व श्री रविंद्र जैन
banke bihari ki bansuri banki by ravindra jain hindi lyrics