बनकर के धूल के कण चरणों से लिपट जाऊं भजन लिरिक्स - MadhurBhajans मधुर भजन
बनकर के धूल के कण
चरणों से लिपट जाऊं
तेरे आँचल की छैया
मैं आके सिमट जाऊं
बनकर के धुल के कण
चरणों से लिपट जाऊं।।
तर्ज गुरुदेव दया करके।
तेरी गोद माँ ऐसी है
है स्वर्ग के सुख फीके
जिसको तूने गोद लिया
वो दीये जलाए घी के
तेरी ममता पाने को
तेरा ध्यान मैं लगाऊं
बनकर के धुल के कण
चरणों से लिपट जाऊं।।
धन हिन मैं निर्धन
साधन है पास नहीं
कुछ कृपा करो ऐसी
टूटे विश्वास नहीं
बस भाव के फूलों से
तुमको मैं रिझाऊं
बनकर के धुल के कण
चरणों से लिपट जाऊं।।
माँ ही तो है एक ऐसी
मेरे दुःख में जो रोती
बेटे की मुसीबत को
सीने पर ढोती है
अहसान तेरे लाखों
कैसे इनको चुकाऊं
बनकर के धुल के कण
चरणों से लिपट जाऊं।।
चाहत माँ नहीं कोई
दुनिया रोशन कर दे
इस नीरस जीवन में
रस ममता का भर दे
बेधड़क तेरी महिमा
दिन रात मैं माँ गाऊं
बनकर के धुल के कण
चरणों से लिपट जाऊं।।
बनकर के धूल के कण
चरणों से लिपट जाऊं
तेरे आँचल की छैया
मैं आके सिमट जाऊं
बनकर के धुल के कण
चरणों से लिपट जाऊं।।
bankar ke dhool ke kan charno se lipat jaun lyrics