बंधन काट किया निज मुक्ता सारी विपत निवारी - MadhurBhajans मधुर भजन
बंधन काट किया निज मुक्ता
सारी विपत निवारी
मारा सतगुरु ने बलिहारी।।
वाणी सुणत प्रेम सुख उपज्यो
दुरमति गई हमारी
भरम करम का सासा मेटिया
दिया कपट उगाडी
मारा सतगुरु ने बलिहारी।।
माया बिरम का भेद समझाया
सोहम लिया विचारी
आदि पुरूष घट अन्दर देख्या
किना दूर विचारी
मारा सतगुरु ने बलिहारी।।
दया करी मेरा सतगुरु दाता
अबके लीना उबारी
भव सागर से डूबत तारया
ऐसा पर उपकारी
मारा सतगुरु ने बलिहारी।।
गुरू दादू के चरण कमल पर
मेलू सीश उतारी
ओर लेय क्या आगे राखू
सुन्दर भेंट तुम्हारी
मारा सतगुरु ने बलिहारी।।
बंधन काट किया निज मुक्ता
सारी विपत निवारी
मारा सतगुरु ने बलिहारी।।
भजन प्रेषक
सिंगर रूपलाल लोहार
9680208919
bandhan kat kiya jeev mukta lyrics