बांदरी ही विने खा गयो बिच्छु पातर पटरानी पद पाई - MadhurBhajans मधुर भजन
बांदरी ही विने खा गयो बिच्छु
दोहा १५३५ मे हाडी तजीया शरीर
जौहर जगती जाल में
कूद गई धर धीर
नजर कैद कर नृप ने
भूप भयो बनवीर
दासी पुत्र साधीया
एक नजर दो तीर।।
बांदरी ही विने खा गयो बिच्छु
पातर पटरानी पद पाई
हे मिनखी रे भाग को टूटगो मालो
ढोर मरीया सुन काग की कही
ढोर मरीया सुन काग की कही
लेख विधाता को लिख एसो
सागर केम गागर में समाई
दासी को जायो मेवाड़ धणी भयो
चिंतन चित चितौड़ पे छाई
चिंतन चित चितौड़ पे छाई
हे बकरी के मुख में मावे न तुम्बा
गंजा ने भी नाखुन चाही
दासी सुत बनवीर राजा जिम
तेल चमेली छछुंद लगाई
तेल चमेली छछुंद लगाई
माल खजाना को बनगो मालिक
कुंडली मारी नाग के ताही
सांगा को सब ऊत गमाकर
निर्भयराज चितौड़ का चाही
निर्भय राज चितौड़ का चाही।।
हे खावे जिन थाली में छेदे
काटे जड जिन री ले छाई
करणीसुत गेला का कहे गुण
नीचा सू नित बचजो भाई
नीचा सु नित बचजो भाई
नित नवी चाल चले बनवीरो
कुंवर उदय ने मारन ताई
हाथ कटार लिया नित ऊबी
पन्नाधाय शेरणी ताई
पन्नाधाय शेरणी ताई।।
हे एश आराम करे अय्याशी
महला मे मदिरा बरसाई
अरे लाख गधेडो नाय गंगा मे
जाय लुटेगो खाक के माई
जाय लुटेगो खाक के माई
मार दियो राणा विक्रम ने
सुतोडा ने कैद के माई
अन्यायी आतंकी आंधी
मची मेवाड़ मे त्राहि त्राहि
मची मेवाड़ में त्राहि त्राहि।।
गायक प्रकाश माली जी।
प्रेषक मनीष सीरवी।
रायपुर जिला पाली राजस्थान
9640557818
bandari hi vine kha gayo bicchu pannadhay gatha