बैठी रही हवेली के खोल के किवाड़ भजन लिरिक्स - MadhurBhajans मधुर भजन
बैठी रही हवेली के
खोल के किवाड़।
दोहा जो मैं ऐसी जानती
प्रीत करे दुख होय
नगर ढिंढोरा पिटती
प्रीत न करयो कोय।
कि प्रीत तो ऐसी कीजिये
जैसा लोटा डोर
आपन गला फसाय के
लाये गगरिया वो।
बैठी रही हवेली के
खोल के किवाड़
बेदर्दी दगा दे के चले गये
बेदर्दी दगा दे के चले गये।।
मोहन जाये द्वारका छाये
कौन सौत संग प्रीत लगाए
नैनन से बह रही है
असुअन की धार
बेदर्दी दगा दे के चले गये
बेदर्दी दगा दे के चले गये।।
याद सताये मोहे बंशीबट की
बंशीबट की है यमुना तट की
बंशी सुनत भयो
जिया बेकरार
बेदर्दी दगा दे के चले गये
बेदर्दी दगा दे के चले गये।।
लूट लूट दही खायो सावरिया
बारी हटि जबसे लड गई नजरिया
छलिया कन्हैया से
कर बैठी प्यार
बेदर्दी दगा दे के चले गये
बेदर्दी दगा दे के चले गये।।
कैसे धीरज राखो तन में
ढूढत फिरी श्याम के वन में
बिन्दु सखी कान्हा गए
जादू सो डार
बेदर्दी दगा दे के चले गये
बेदर्दी दगा दे के चले गये।।
बैठी रहीं हवेली के
खोल के किवाड़
बेदर्दी दगा दे के चले गये
बेदर्दी दगा दे के चले गये।।
स्वर संजो जी बघेल।
प्रेषक सुरेन्द्र पवार।
9893280180
baithi rahi haveli ke khol ke kiwad bhajan lyrics