अरे प्राणिऐ तूने कहना गुरू का न माना - MadhurBhajans मधुर भजन










अरे प्राणिऐ तूने
कहना गुरू का न माना
पड़े पछिताना तुझे पड़े पछिताना
अरे प्राणिऐ तुने
कहना गुरू का न माना।।
तर्ज तेरे मेर बीच मे कैसा है।


तू ने कहा था हरदम नाम जपूँगा
तू ने कहा था हरदम नाम जपूँगा
मर्जी बिना तेरी पाँव न धरूँगा
किया है मगर तू ने
किया है मगर तू ने
हर पल नया एक बहाना
पड़े पछिताना तुझे पड़े पछिताना
अरे प्राणिऐ तुने
कहना गुरू का न माना।।


साथ न देगा तेरा कोई गुरु बिन
साथ न देगा तेरा कोई गुरु बिन
नैया तरे न तेरी भव से गुरू बिन
सोचले प्राणी तुझको
सोचले प्राणी तुझको
मिलेगा कहाँ फिर ठिकाना
पड़े पछिताना तुझे पड़े पछिताना
अरे प्राणिऐ तुने
कहना गुरू का न माना।।









आसान है जग मे धन मिल जाना
आसान है जग मे धन मिल जाना
बड़ा ही कठिन है साँचा गुरू मिल जाना
उससे भी कठिन है प्यारे
उससे भी कठिन है प्यारे
गुरू नाम का मिल पाना
पड़े पछिताना तुझे पड़े पछिताना
अरे प्राणिऐ तुने
कहना गुरू का न माना।।


अरे प्राणिऐ तूने
कहना गुरू का न माना
पड़े पछिताना तुझे पड़े पछिताना
अरे प्राणिऐ तुने
कहना गुरू का न माना।।
भजन लेखक एवं प्रेषक
श्री शिवनारायण वर्मा
मोबान8818932923
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