अपने लाला की सुन लो शिकायत जो बताने के काबिल नहीं है - MadhurBhajans मधुर भजन
अपने लाला की सुन लो शिकायत
जो बताने के काबिल नहीं है
वो जो देता है दर्द ये दिल को
वो दिखाने के काबिल नहीं है
अपने लाला की सुन लों शिकायत
जो बताने के काबिल नहीं है।।
तर्ज ये तो प्रेम की बात है।
मैया पहली शिकायत हमारी
पनघट पे मिले थे मुरारी
या ने तोड़ी गगरिया हमारी
जल भरने के काबिल नहीं है
अपने लाला की सुन लों शिकायत
जो बताने के काबिल नहीं है।।
मैया दूसरी शिकायत हमारी
गलियों में मिले थे मुरारी
वा ने फाड़ी चुनरिया हमारी
ओढ़ने के जो काबिल नहीं है
अपने लाला की सुन लों शिकायत
जो बताने के काबिल नहीं है।।
मैया तीसरी शिकायत हमारी
महलों में मिले थे मुरारी
या ने तोड़ी नथनिया हमारी
मुंह दिखाने के काबिल नहीं है
अपने लाला की सुन लों शिकायत
जो बताने के काबिल नहीं है।।
मेरे लाला को प्यार सु बुलाती
माखन मिश्री का भोग लगाती
ये तो प्राणो से प्यारा कन्हैया
ये शिकायत के काबिल नहीं है
अपने लाला की सुन लों शिकायत
जो बताने के काबिल नहीं है।।
अपने लाला की सुन लो शिकायत
जो बताने के काबिल नहीं है
वो जो देता है दर्द ये दिल को
वो दिखाने के काबिल नहीं है
अपने लाला की सुन लों शिकायत
जो बताने के काबिल नहीं है।।
स्वर श्री विनोद अग्रवाल जी।
6816
apne lala ki sun lo shikayat jo batane ke kabil nahi hai lyrics