अपने भक्तों के घर तुम गए थे गिरधर भजन लिरिक्स - MadhurBhajans मधुर भजन
अपने भक्तो के घर
तुम गए थे गिरधर।
दोहा प्रेम निभाया मीरा से और
विष का प्याला पी डाला
लाज रखी थी नरसी की
नानी का भात था भर डाला
खेती उपजाई धन्ना की
कर्मा का खीचड़ खाये थे
मुझ में ऐसे भाव नहीं
जिस वशीभूत तुम आये थे।
अपने भक्तो के घर
तुम गए थे गिरधर
ये पता है ज़माने को
बाबा आ जाओ ना
निर्धन के यहाँ
कुछ पल ही बिताने को
अपने भक्तों के घर
तुम गए थे गिरधर।।
छप्पन भोग लगे तेरे
एक दिन खा लेना श्याम रुखा सूखा
घर ना हो जो कुछ भी मेरे
एक दिन रह लेना तू मेरे संग भूखा
देख कंगाल ये
तेरा एक लाल ये
आया तुझको बुलाने को
बाबा आ जाओ ना
निर्धन के यहाँ
कुछ पल ही बिताने को
अपने भक्तों के घर
तुम गए थे गिरधर।।
सोने के सिंघासन पे
तुम सदा विराजते हो खाटू वाले
मेरे फटे पुराने आसान पे
एक बार बैठ जाओ मुरली वाले
शान होगी ना कम
बाबा तेरी कसम
आया तुझको बताने को
बाबा आ जाओ ना
निर्धन के यहाँ
कुछ पल ही बिताने को
अपने भक्तों के घर
तुम गए थे गिरधर।।
रोज दिवाली होती तेरी
मेरे घर में रहता है सदा अँधेरा
फूलो पर सोने वाले
काँटों पे बिछौना है ओ बाबा मेरा
आके तो आजमा
दूंगा पलके बिछा
श्याम तुझको सुलाने को
बाबा आ जाओ ना
निर्धन के यहाँ
कुछ पल ही बिताने को
अपने भक्तों के घर
तुम गए थे गिरधर।।
अपने भक्तों के घर
तुम गए थे गिरधर
ये पता है ज़माने को
बाबा आ जाओ ना
निर्धन के यहाँ
कुछ पल ही बिताने को
अपने भक्तो के घर
तुम गए थे गिरधर।।
स्वर रजनी जी राजस्थानी।
प्रेषक श्याम सुन्दर जी
ग्वालियर 9589606200
apne bhakto ke ghar tum gaye the girdhar lyrics