ऐसा देश दीवाना संतो राजस्थानी भजन लिरिक्स - MadhurBhajans मधुर भजन
ऐसा देश दीवाना संतो
दोहा शब्दा मारया मर गया
शब्दों छोड़या राज
जो नर शब्द विवेकिया
भाई उण रा सरिया काज।
ऐसा देश दीवाना संतो
ऐसा देश दीवाना
भेळा हैं पर भिळता नाही
गुरु मुखी ज्ञानी जाणा।।
तीर्थ करूँ न जप तप साजू
नही धरूँ मैं ध्याना
ऐसा होय खलक में खेलूं
नही मूर्ख नहीं स्याणा।।
पग बिना पन्थ नेण बिना निरखु
बिना श्रवण सुण लेणा
बिना घ्राण वो लेत सुगंधी
बिना रसना रस पीणा।।
सहज सरोवर सिवरत हंसा
पर बिन किया पियाणा
मान सरोवर मोती मुकता
निर्मल नीर निवाणा।।
ईयू जाणियो जगदीश जुगत कर
पिंड बिन पुरुष पुराणा
कह बन्नानाथ सकल में व्याप्त
घाट बाट नहीं कहणा।।
ऐसा देश दीवाना संतों
ऐसा देश दीवाना
भेळा हैं पर भिळता नाही
गुरु मुखी ज्ञानी जाणा।।
गायक प्रेमनाथ जी।
प्रेषक रामेश्वर लाल पँवार।
आकाशवाणी सिंगर।
9785126052
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