अगर तूने दया का हाथ सिर पर ना धरा होता लिरिक्स - MadhurBhajans मधुर भजन
अगर तूने दया का हाथ
सिर पर ना धरा होता
तो मिट जाती मेरी हस्ती
ना जाने कहाँ पड़ा होता
अगर तुने दया का हाथ
सिर पर ना धरा होता।।
तर्ज मुझे तेरी मोहब्बत का।
सितमगर बन के दुनिया ने
सितम लाखों ही ढ़ाये है
तभी तो हारकर बाबा
तुम्हारे द्वार आये है
अगर पग पग पे सुखदुख में
तू संग में ना खड़ा होता
तो मिट जाती मेरी हस्ती
ना जाने कहाँ पड़ा होता
अगर तुने दया का हाथ
सिर पर ना धरा होता।।
मुझे जब याद आता है
वो तूफानों का था मंजर
कहीं मर जाऊँ ना डर से
बड़ा भय था मेरे अंदर
मेरे खातिर तूफानों से
अगर तू ना लड़ा होता
तो मिट जाती मेरी हस्ती
ना जाने कहाँ पड़ा होता
अगर तुने दया का हाथ
सिर पर ना धरा होता।।
बड़ा गमगीन रहता था
मैं क्या क्या अपनी बतलाऊँ
कलेजा चीर के अपने
मैं कैसे दुखड़े दिखलाऊँ
अगर इस श्याम का दामन
खुशी से ना भरा होता
तो मिट जाती मेरी हस्ती
ना जाने कहाँ पड़ा होता
अगर तुने दया का हाथ
सिर पर ना धरा होता।।
अगर तूने दया का हाथ
सिर पर ना धरा होता
तो मिट जाती मेरी हस्ती
ना जाने कहाँ पड़ा होता
अगर तुने दया का हाथ
सिर पर ना धरा होता।।
agar tune daya ka haath sir pe na dhara hota lyrics