ऐ री मैं तो प्रेम दिवानी मेरो दरद न जाणे कोय - MadhurBhajans मधुर भजन










ऐ री मैं तो प्रेम दिवानी
मेरो दरद न जाणे कोय।।


सूली ऊपर सेज हमारी
सोवण किस बिध होय
गगन मंडल पर सेज पिया की
मिलना किस बिध होय
हे री मै तो प्रेम दिवानी
मेरो दरद न जाणे कोय।।


घायल की गति घायल जाने
और ना जाणे कोय
पीड़ा मन की वो ही जाणे
जो कोई घायल होय
हे री मै तो प्रेम दिवानी
मेरो दरद न जाणे कोय।।


दरद की मारी बन बन डोलूं
बैद मिल्यो नही कोई
मीरा की प्रभु पीर मिटे जब
वैद सांवरिया होय
हे री मै तो प्रेम दिवानी
मेरो दरद न जाणे कोय।।









ऐ री मैं तो प्रेम दिवानी
मेरो दरद न जाणे कोय।।
प्रेषक शिवकुमार शर्मा
992634 7650










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