आन्ऩद का नहीं ठिकाणा मेरे बाबा के दरबार में - MadhurBhajans मधुर भजन










आन्ऩद का नहीं ठिकाणा
मेरे बाबा के दरबार में।।


कोए नाचे कोए गावः
कोए पेट पिलणया आवः स
आवण की दरखास लगावः
कोए अपणी अर्जी लावः स
कोए गोद भरा क जावः
कोए बैठा स इंतजार में
आन्ऩद का नही ठिकाणा
मेरे बाबा के दरबार में।।


मेंहदीपुर के बालाजी तुं
सच्चा स न्याकारी हो
मेंहदीपुर के बालाजी
तन्नै जाणे दुनिया सारी हो
जिसपे दया हो तुम्हारी
वो कोना रह हार में
आन्ऩद का नही ठिकाणा
मेरे बाबा के दरबार में।।


प्रेतराज और भैरव बाबा
सबके संकट काटं सं
जो कोए उसके दर प
आजया सबके साटे साटं सं
यो सबके दुख ने काटः
जो कोए आगया इसकी आड़ में
आन्ऩद का नही ठिकाणा
मेरे बाबा के दरबार में।।









कह मुरारी दर तेरे की सब तं
न्यारी माया स
दया धर्म जिसके मन में
उस प तेरी छांया स
तुं घाटे के महां आया या
धुम मची संसार में
आन्ऩद का नही ठिकाणा
मेरे बाबा के दरबार में।।


आन्ऩद का नहीं ठिकाणा
मेरे बाबा के दरबार में।।
गायक नरेन्द्र कौशिक।
भजन प्रेषक राकेश कुमार जी
खरक जाटानरोहतक
9992976579










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